बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर आयोजित की गई विचार गोष्ठी

बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर आयोजित की गई विचार गोष्ठी

बिरसा की शहादत से भारत में अंग्रेजी हुकूमत की समाप्ति की उल्टी गिनती शुरू हुई: बटेश्वर प्रसाद मेहता

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के 705 जनजातियों में से बिरसा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस बनाया: डॉ सुकल्याण मोइत्रा

हजारीबाग संवाददाता नेमतुल्ला 
हजारीबाग : झारखंड स्वतंत्रता सेनानी विचार मंच की ओर से हजारीबाग के ज़ुलु पार्क में अवस्थित मेहता-कुशवाहा भवन मे धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के शहादत दिवस के अवसर पर 9 जून को एक अनौपचारिक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता झारखंड स्वतंत्रता सेनानी विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष बटेश्वर प्रसाद मेहता ने की। 

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को सुशोभित किया। इस अवसर पर जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश महासचिव अर्जुन कुमार मेहता, जनजाति समाज के प्रतिनिधि के रूप में रमेश हेंब्रम, दिल्ली उच्च न्यायालय में अधिवक्ता सत्य प्रकाश तथा इसी मंच के सक्रिय सदस्य मुकेश कुमार ने भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर पुष्प अर्पण किया तथा उनके संघर्ष और उनके विचारों को याद किया।

वक्ताओं ने बताया कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 अक्टूबर 1875 को हुआ। बहुत कम आयु मे ही बिरसा को अंग्रेजों के कुचक्र की समझ हो गई। साथ ही आदिवासी अस्मिता के समक्ष आने वाली चुनौतियों को भी उन्होंने भली भांति समझ लिया। जनजातियों के जल-जंगल-जमीन उनसे छीने जा रहे थे। उनकी भाषा, संस्कृति एवं धर्म पर भी योजनाबद्ध तरीके से अतिक्रमण किया जा रहा था।

वक्ताओं ने बताया कि बिरसा मुंडा ने 20 वर्ष की आयु में ही छोटानागपुर के जनजातीय समाज को जगाने का और आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्ष को निर्भीक नेतृत्व प्रदान किया। 1895 में वह पहली बार गिरफ्तार कर दिए गए।

बिरसा मुंडा के कार्यों से प्रभावित होकर जनजातीय समाज ने उनको अपना 'भगवान' माना और आज हम उन्हें 'धरती आबा' के रूप में स्मरण करते हैं।

बिरसा मुंडा ने अपने लोगों को गोलबंद करने के लिए "अबुआ राज सेतेर जेना, महारानी राज टुंडू जेना" का नारा दिया। जनजाति समाज को जगाने के बाद उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध एक महासंग्राम संचालित किया जिसे 'उलगुलान' के नाम से हम याद करते हैं।

यह अलग विषय है की अंग्रेजों ने बहादुरी से तो नहीं लेकिन छल और कपट से बिरसा को बंदी बनाया, झूठे मुकदमे लादे और जहर देकर मार भी डाला। आज ही के दिन रांची के जेल में बिरसा की शहादत हुई और वह अमर हो गए। उनकी शहादत ने छोटानागपुर क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की।

ज्ञात हो कि बिरसा मुंडा के जन्मदिन के अवसर पर 15 नवंबर, 2000 को झारखंड राज्य की स्थापना की गई। जनजातीय स्वतंत्रता संग्रामियों में बिरसा मुंडा का स्थान कितना महत्वपूर्ण था वह इस बात से स्पष्ट होता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 705 जनजातीय समूह में से झारखंड के मुंडा जाति के बिरसा मुंडा के जन्म जयंती को "राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाने की घोषणा की।

अंत में सभी सदस्यों में 'बिरसा मुंडा अमर रहे', 'जब तक सूरज चांद रहेगा बिरसा तेरा नाम रहेगा,' 'जय झारखंड' एवं 'जय हिंद' के नारों के साथ कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई।

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